3000 पात्रों के सृष्टिकर्ता - प्रेमचंद जी का 140वी जयंती
3000 पात्रों के सृष्टिकर्ता उर्दू एवं हिंदी साहित्य जगत के ब्रम्हा हमारे "कलम के सिपाही " धनपत राय से उर्दू में नवाब राय और हिंदी में प्रेमचंद तक हिंदी साहित्य को ही नहीं, सम्पूर्ण भारत का रूप चित्रण उनके कलम से उभर कर कथा बनती हैं जो हर भारतीय आत्मा से युही जुड़ जाती हैं। यही कारण कई भारतीय एवं रूसी भाषा में अनुवाद में मिलती हैं जो वसुधैव कुटुम्बकम बनाता है। मेरे निजी जीवन में ये सिलसिला मेरी पाँचवी कक्षा से प्रारंम्भ हुई,जहा प्रेमचंद जी के "बड़े घर की बेटी' कथा से पहली बार परिचय केंद्रीय विद्यालय में आयोजित लिखावट प्रतियोगिता में तीसरा पुरस्कार मिला और उपहार के तौर में प्रेमचंद जी द्वारा रचित पुस्तक मिला और तब से आज तक प्रेमचंद जी प्रभावित करने में पीछे न हटे। गोदान उपन्यास में गांव के वातावरण और शहरी क्षेत्र के लोगों के कर्म, विचारों का एक ही गुच्छे में समतुल्य कर दिखाए। चाहे शहरी क्षेत्र की पढ़ी लिखी स्त्री हो या अनपढ़ गाँव की रहने वाली दुर्बल स्त्री पर हो रही तत्कालीन समाज सोशन को केवल अपने कथाओं में हीं नहीं, प्रेमचंद जी ने स्वयं अपने निजी जीवन में अ