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नवाब साहब से पहला परिचय और पत्र

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प्रिय प्रेमचंद जी, नवाब साहब को मेरे साष्टांग प्रणाम। आपसे मिलकर पंद्रह साल होगये। शायद आपको याद न होगा, आप से मेरी पहली मुलाकात केंद्रीय विद्यालय, वाल्टेर, विशाखापट्टनम में ही हुई थी। जी हाँ। सुबह पाठशाला में प्रार्थना होने के तूरंत लिखावट प्रतियोगिता के विजेता घोषित करने लगे। पाँचवी कक्षा से स्वाति पट्टनायक को तीसरा पुरस्कार प्राप्त हुआ। मैं थम रह गई, मेरे सहेलिया, सहपाठी मुझे आगे जाने के लिए प्रेरित करने लगे। कक्षा के अध्यापक आचार्य अनंत जी ने मेरे हाथ उठाकर आगे ले गए। हज़ारो आँखे मेरे और देख रहे थे। बस सर झुका कर सीढ़िया चढ़ती गई। पसीना तो पीछे छोड़ने की बात ही नहीं कर रहा था। मंच पर जाने के बाद प्रधान अधयापिक को पहली बार अति कम दूरिया से देखी थी। वह हँसकर मुझे पुरस्कार देने के लिए तैयार थी। पहली बार अहसास हुआ कि प्रधान अध्यापिक उतनी भी बुरी नहीं हैं जितना हम सब उनको देखर तुरंत भागते थे। उन्होंने सर पर हाथ डाला और आशीर्वाद देकर पुरस्कार के साथ बड़े घर की बेटी, एलोरा गुहाओं और तीन पुस्तको को प्रधान किया। चेहरे में हसी के साथ मंच से निकली फिर भी पैर कां