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निराले स्मृतियाँ

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वह दिन देश के जब गाँधी जी के लाठी के सहारे चलते थे, आसमान में तिरंगा फहराने का दिलचस्प हर एक के सीने पे स्पष्ट दिख रहा था। बापू के मुँह से निकली हर एक शब्द से बुना हुआ वह वाक्य वाणी कोई वेदांत से कम नहीं थी। इस संधर्भ पर अंग्रेेज़ी में इस तरह कहा गया, "The pen is mightier than sword"- Edward Bulwer-Lytton ,1839.  समाचार पत्र में एक एक शब्द का अपना अपना अंदाज़ जोड़कर लिखा तो जाता ही हैं, वह आज हो या तत्कालीन हो पर्याप्त मात्रा का विषय मिलता है। गाँधी जी की बात देश की भविष्यवाणी को निर्धारित करने की स्थिति पैदा हुई थी। देश उन्हें कई नामों से पुकारता था। एक दिन ऐसी ही  गंभीर ज़ुबान से  छह फुट का वह इंसान आया था ,पश्चिम बंगाल की कमल नयन आँखें उनपे रौनक  लायी थी, वस्त्र धारण से लग तो रहा था कि वह कोई कला प्रेमी हैं जो आडंबरों से नहीं झुकता।  उनके जूबान में क्रोध से भरी हुई वेदना स्पष्ट रूप में दिख रही थी। सारा देश बापु के सामने आँखे मिलाकर बात करने से डरता था, परंतु वही बापू के सामने यही स्वर में उनकी सवाल भी उठाई थी, कहा किसने आपको हक दिया जब आपने हिंदी साहित्य