आधुनिक काल की मीरा
" ठंडे पानी से नहलाती
ठंडा चन्दन उन्हें लगाती
उनका भोग हमें दे जाती
तब भी कभी न बोले हैं
मां के ठाकुर जी भोले हैं। "
छायावाद युग प्रख्यात चार मीनारों में केवल एकाएक स्त्री महादेवी वर्मा जी हैं l इनका जन्म होली के त्योहार दिन हुआ था, जो अपने सफेद साड़ी में संपूर्ण सप्त रंगों को समाती हैं l मन में बौद्ध धर्म को मानते हुए गांधीवाद में अपने पैर को आगे बढ़ाती है l हरियाली की गोद में झूम कर अपने आपको सजाती हैं l कलम के सहारे साहित्य की पूजा करती हैं l घर के आँगन से लेकर घर के बगीचे तक स्वागत करने वाले जीव जन्तु इनके पास ही थे l राखी भाई निराला के निर्मल मन को रेखांकित करते हुए कही बातें को एक समूह में ड़ाला जैसे फ़ूलों की गुच्छे को मोतियों की माला से ओर सजाया हों l दिल की बात को अपने अनदेखी प्रिय से बतलाये बिना ना सह पाती l सोंदर्य चित्रकला से अपने हर पुस्तक को एक तस्वीर देती थी वो सरस्वती देवी की प्रिय थी l
आज महादेवी वर्मा , पीड़ा की गायिका , हिन्दी के विशाल मंदिर की सरस्वती जी की 114 वी जयंती के अवसर पर कोटि कोटि नमन l
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