लोकल सरोजिनी -116वी जयंती
1922 ई. ,देश का पहला 'झंडा सत्यग्रह' ,जबलपुर में सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लहराया गया। वह देश के पिता गाँधी के पथ पर चलते चलते हीं कविताओं में अपना आवाज़ उठाई यह स्त्री का आज 116वी जयंती हैं (16/08/1904)।
सुभद्रा कुमारी जी नो वर्ष की अल्प आयु में हीं अपने विचारों को कविताओं में अति सरल रूप में अक्षरों से सजाती थी मानो ये जन्म से ही सिद्ध हो।
'सुभद्रा कुंवारी' के नाम से उनका पहला कविता छपी थी, जो नीम पेड़ पर था। यह से वे उनके जीवन मुख्य पल कविता द्वारा एक ऐसा भाग बनगया था , जिसका फल स्वरूप पाठशाला में एक प्रत्येक नाम प्राप्त हुआ था। एक अच्छे छात्र होने के साथ ही वह कवि सम्मेलनों में भी अपनी प्रतिभा को कविताएं द्वारा विचारों को व्यक्त करती थी, कई सारे इनामों का यही मंच था।
उनका स्नेह महादेवी वर्मा जी के साथ का प्रयाण बाल अवस्था से ही जुड़ा हुआ था, जहाँ सुभद्रा जी के साथ साहित्य संगति चिरस्मर्णीय थी।
1919 ई. में उनका विवाह 'ठाकुर लक्ष्मण सिंह से हुआ। सुभद्रा कुमारी जी के जीवन साथी एक अर्थांगिनी का अर्थ सम्पूर्ण रूप में निभाये थे। स्वयं पति पत्नी स्वत्रंत्र भारत के नारे में स्वर मिलाकर गाँधी जी के विश्वसनीय बने। पति के छत्र छाया में नही बल्कि पति पत्नी एक हीं छत्र छाया में जीवन बिताया जहा सुभद्रा का छत जैल के भीतर था, गोद में बच्चों को दूध से भूख भूजाते हीं अपने अंदर छिपी हुई स्वतत्रं संग्राम के खून की ज्वाला को कविताओं द्वारा लोगो तक पहुँचकर जन चैतन्य बाँटती थी।
वे स्त्रीजाति के कई अनकही कहानियों को अपना आवाज़ देती थी, अंधेरे में दीपक का सहारा बनती थी।
टाइम्स ऑफ इंडिया' के संवाददाता ने अपनी एक रिपोर्ट में उनका उल्लेख 'लोकल सरोजिनी' कहकर किया था।
सुभद्रा जी की बेटी सुधा चौहान का विवाह प्रसिद्ध साहित्यकार प्रेमचंद के पुत्र अमृतराय से हुआ था जो स्वयं अच्छे लेखक हैं। जहा जड़ो का मिलन एक नए विचारों का पुनादि बुनी हुई हैं।
"सुभद्राकुमारी चौहान नारी के रूप में ही रहकर साधारण नारियों की आकांक्षाओं और भावों को व्यक्त करती हैं। बहन, माता, पत्नी के साथ-साथ एक सच्ची देश सेविका के भाव उन्होंने व्यक्त किए हैं। उनकी शैली में वही सरलता है, वही अकृत्रिमता और स्पष्टता है जो उनके जीवन में है।"
- गजानन माधव मुक्तिबोध
सम्मान और पुरस्कार
1.इन्हें 'मुकुल' तथा 'बिखरे मोती' पर अलग-अलग सेकसरिया पुरस्कार मिले।
2.भारतीय तटरक्षक सेना ने 28 अप्रॅल 2006 को सुभद्रा कुमारी चौहान को सम्मानित करते हुए नवीन नियुक्त तटरक्षक जहाज़ को उन का नाम दिया है।
3.भारतीय डाक तार विभाग ने 6 अगस्त 1976 को सुभद्रा कुमारी चौहान के सम्मान में 25 पैसे का एक डाक-टिकट जारी किया था।
अपनी काव्यों से नहीं, कर्तव्य निभाकर लोगों में हमेशा के लिए आप इस चित्त में चिरस्मर्णीय रहे। आपको कोटि कोटि प्रणाम।
सुभद्रा कुमारी जी नो वर्ष की अल्प आयु में हीं अपने विचारों को कविताओं में अति सरल रूप में अक्षरों से सजाती थी मानो ये जन्म से ही सिद्ध हो।
'सुभद्रा कुंवारी' के नाम से उनका पहला कविता छपी थी, जो नीम पेड़ पर था। यह से वे उनके जीवन मुख्य पल कविता द्वारा एक ऐसा भाग बनगया था , जिसका फल स्वरूप पाठशाला में एक प्रत्येक नाम प्राप्त हुआ था। एक अच्छे छात्र होने के साथ ही वह कवि सम्मेलनों में भी अपनी प्रतिभा को कविताएं द्वारा विचारों को व्यक्त करती थी, कई सारे इनामों का यही मंच था।
उनका स्नेह महादेवी वर्मा जी के साथ का प्रयाण बाल अवस्था से ही जुड़ा हुआ था, जहाँ सुभद्रा जी के साथ साहित्य संगति चिरस्मर्णीय थी।
1919 ई. में उनका विवाह 'ठाकुर लक्ष्मण सिंह से हुआ। सुभद्रा कुमारी जी के जीवन साथी एक अर्थांगिनी का अर्थ सम्पूर्ण रूप में निभाये थे। स्वयं पति पत्नी स्वत्रंत्र भारत के नारे में स्वर मिलाकर गाँधी जी के विश्वसनीय बने। पति के छत्र छाया में नही बल्कि पति पत्नी एक हीं छत्र छाया में जीवन बिताया जहा सुभद्रा का छत जैल के भीतर था, गोद में बच्चों को दूध से भूख भूजाते हीं अपने अंदर छिपी हुई स्वतत्रं संग्राम के खून की ज्वाला को कविताओं द्वारा लोगो तक पहुँचकर जन चैतन्य बाँटती थी।
वे स्त्रीजाति के कई अनकही कहानियों को अपना आवाज़ देती थी, अंधेरे में दीपक का सहारा बनती थी।
टाइम्स ऑफ इंडिया' के संवाददाता ने अपनी एक रिपोर्ट में उनका उल्लेख 'लोकल सरोजिनी' कहकर किया था।
सुभद्रा जी की बेटी सुधा चौहान का विवाह प्रसिद्ध साहित्यकार प्रेमचंद के पुत्र अमृतराय से हुआ था जो स्वयं अच्छे लेखक हैं। जहा जड़ो का मिलन एक नए विचारों का पुनादि बुनी हुई हैं।
"सुभद्राकुमारी चौहान नारी के रूप में ही रहकर साधारण नारियों की आकांक्षाओं और भावों को व्यक्त करती हैं। बहन, माता, पत्नी के साथ-साथ एक सच्ची देश सेविका के भाव उन्होंने व्यक्त किए हैं। उनकी शैली में वही सरलता है, वही अकृत्रिमता और स्पष्टता है जो उनके जीवन में है।"
- गजानन माधव मुक्तिबोध
सम्मान और पुरस्कार
1.इन्हें 'मुकुल' तथा 'बिखरे मोती' पर अलग-अलग सेकसरिया पुरस्कार मिले।
2.भारतीय तटरक्षक सेना ने 28 अप्रॅल 2006 को सुभद्रा कुमारी चौहान को सम्मानित करते हुए नवीन नियुक्त तटरक्षक जहाज़ को उन का नाम दिया है।
3.भारतीय डाक तार विभाग ने 6 अगस्त 1976 को सुभद्रा कुमारी चौहान के सम्मान में 25 पैसे का एक डाक-टिकट जारी किया था।
अपनी काव्यों से नहीं, कर्तव्य निभाकर लोगों में हमेशा के लिए आप इस चित्त में चिरस्मर्णीय रहे। आपको कोटि कोटि प्रणाम।
स्वाती बालिवाडा,
16-08-2020
swatipatnaik@yandex.com
👏👏
ReplyDeleteThanks a lot for giving me encouragement by reading most of my articles, your comments mean a lot cause I know you aren't the reader who come from similar background, but you try hard to acquire the knowledge. Thanks a lot.
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