इस महामारी के समय में सिर्फ चिकित्सकों की सेवाओं की जीवनदान नहीं किया। बच्चों की विचारों, आशयों तथा आकांक्षाओं की प्राण प्रस्तष्ट किया हैं। वैद्यो नारायण हरी।

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